लखीमपुर खीरी- सावन माह में दुधवा टाइगर रिजर्व में हाथियों के लिए हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी विश्व हाथी दिवस मनाया गया है। हाथी अपने घुमक्कड़ी के लिए जाने जाते हैं। हाथियों के लिए दावत का इंतज़ाम किए गए हैं, जहां उनके मनपसंद केले, गन्ने फल पेड़ इत्यादि जिनको हाथी खाना पसंद करते हैं उनका इंतजाम किया गया।
झुंड में रहने वाला जीव है । हाथी अपने जीवन काल में काफी लंबी दूरी का सफर तय करते हैं । दुधवा टाइगर रिजर्व के हाथी कहीं पड़ोसी देश नेपाल के टाइगर रिजर्व में पहुंच जाते हैं, तो कभी यह हाथी आबादी की ओर रुख करते हैं ।
देश में 1992 में प्रोजेक्ट एलिफेंट की स्थापना तीन मकसदों को लेकर हुई थी जिसमें उनकी कम होती आबादी को बढ़ाने के साथ-साथ उनके वास्कल विकसित करना इनके बंद होते कॉरिडोर को बचाना और इंसान से इनके टकराव को कम करना शामिल है । प्रोजेक्ट एलिफेंट के तहत उनके बंद होते कॉरिडोर को बचाने का काम भी किया जा रहा है लेकिन बढ़ते इंसानी दबाव के बीच इन कॉरिडोर को बचा पाना काफी मुश्किल साबित हो रहा है जिससे चिंता बढ़ा दी है ।
दुधवा टाइगर रिजर्व और पीलीभीत टाइगर रिजर्व के साथ दक्षिण खीरी वन प्रभाग को मिलाकर तराई एलिफेंट रिजर्व बनने के बाद ट्राई क्षेत्र में हाथियों के संरक्षण और संवर्धन को नए आयाम मिले हैं । अब हाथियों को पुराने कॉरिडोर को व्यवस्थित करने के साथ नए कॉरिडोर तलाश में और उनकी बनाने का काम किया जा रहा है ।
उत्तर प्रदेश में पहले हाथी रिजर्व को अक्टूबर 2022 में मंजूरी मिली थी केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने के बाद ही प्रदेश की दुधवा पीलीभीत तराई क्षेत्र में तराई एलिफेंट रिजर्व में हाथियों की संरक्षण और संगठन का काम तेज हो गया है अब यहां बड़ी संख्या में हाथी की आबादी को संरक्षण मिलेगा । मिली जानकारी के अनुसार बताते हैं या देश का 33 व तथा उत्तर प्रदेश का पहला हाथी रिजर्व है ।
रिपोर्ट— अशोक शुक्ला